source of Indian Constitution//भारतीय संविधान के स्रोत
Source of Indian Constitution//भारतीय संविधान के स्रोत
source of Indian Constitution |
किसी भी देश का संविधान विशुद्ध रूप से मौलिक नहीं हो सकता
क्योंकि संविधान का निर्माण करते समय अन्य देशों की शासन प्रणाली विधि प्रालेखों,रीति-रिवाजों एवं
परंपराओं को मध्य नजर रखा जाता है। अर्थात भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल
प्रावधानों को संविधान में शामिल किया गया। इसके साथ ही संविधान निर्माताओं ने
भारतीय भौगोलिक परिवेश में घटित सभी प्रकार की घटनाओं को ध्यान में रखा। अर्थात
भारतीय संविधान के विभिन्न स्रोत हैं जो निम्न है:-
(1) 1935 का भारतीय सरकार
अधिनियम (Government of
India act, 1935) 1935 का भारतीय सरकार अधिनियम भारतीय संविधान का महत्वपूर्ण
स्रोत है। सविधान का आकार उसकी भी विषय-सूची तथा भाषा पर 1935 के अधिनियम की
जारी छाप है। तुलनात्मक दृष्टि से 1935 के अधिनियम कि लगभग 200 धाराओं को ज्यों का त्यों थोड़ा बहुत परिवर्तन करें
संविधान में लिया गया है। वर्तमान संविधान की धारा 352, जिसके अंतर्गत राष्ट्रपति को बाहरी आक्रमण या
आंतरिक अशांति के कारण संकट काल की घोषणा करने का अधिकार है, 1935 अधिनियम की धारा
102 का ही रूप है।
इसी प्रकार वर्तमान संविधान की धारा 251, जिसमें संघी तथा
राज्य सरकारों के कानूनो के परस्पर विरोधी होने के विषय पर प्रकाश डाला गया है, बहुत सीमा तक 1935 के अधिनियम की
धारा 107 की प्रतिलिपि
है।
वर्तमान संविधान की धारा 356 जिसके अंतर्गत राष्ट्रपति को राज्यों में
संवैधानिक मशीनरी के फेल होने पर संकटकालीन घोषणा करने का अधिकार है, 1935 के अधिनियम धारा
92 से मिलती है।
वर्तमान संविधान में केंद्र और राज्यों में किया गया
शक्तियों का विभाजन 1935 के अधिनियम में
दिए गए शक्तियों के विभाजन से मिलता- जुलता है।
1935 के अधिनियम में
दिए गए शक्तियों में विभाजन में तीन सूचियां दी गई थी : संघ सूची, राज्य सूची और
समवर्ती सूची।
संघ सूची में 59, राज्य सूची में 54 तथा समवर्ती सूची में 36 विषय रखे गए थे। वर्तमान संविधान में भी इसी प्रकार तीन
सूचियां दी गई है संघ सूची,राज्य सूची
समवर्ती सूची। वर्तमान में संघ सूची में 100 विषय, राज्य सूची में 61 विषय, समवर्ती सूची में 52 विषय है|
(2). विदेशी संविधान (Foreign Constitution): हमारे संविधान
निर्माताओं का लक्ष्य एक अच्छे संविधान का निर्माण करना था, इसीलिए उन्होंने
बिना संकोच के विदेशी सविधान नो से जो संस्थाएं व नियम लिए उनका वर्णन इसी प्रकार
है।
(क). ब्रिटिश
संविधान (British
Constitution): क्योंकि इंग्लैंड के साथ भारत के राजनैतिक संबंध बहुत लंबे
समय तक रहे, इसीलिए यह
स्वाभाविक था कि संविधान निर्माताओं ब्रिटिश शासन व्यवस्था को मुख्यत: अपना
स्त्रोत बनाते। संसदीय शासन प्रणाली ब्रिटिश की देन है। भारत का राष्ट्रपति
इंग्लैंड के राजा या रानी की तरह संवैधानिक मुखिया है। भारत के मंत्रिमंडल की
शक्तियां व स्थिति लगभग वही है जो ब्रिटिश मंत्रिमंडल की है ब्रिटिश की तरह कानून
के शासन की व्यवस्था को अपनाया गया है।
(ख) अमेरिकी
संविधान (American
Constitution): अमेरिकी संविधान की प्रस्तावना से भारतीय संविधान की प्रस्तावना
मिलती-जुलती है। भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार, सर्वोच्च
न्यायालय की शक्तियां, उपराष्ट्रपति का
पद इत्यादि अमेरिकी संविधान से मिलते हैं।
(ग) कनाडा का
संविधान (Canadian
constitution): कनाडा के सविधान का भी भारत के संविधान पर काफी प्रभाव पड़ता
है। कनाडा के संघीय राज्य की भांति भारत को 'राज्यों का संघ' कहां गया है। हमारे संविधान में केंद्र और राज्यों में
शक्तियों का बंटवारा कनाडा के मॉडल के आधार पर किया गया है। दोनों देशों में
अवशिष्ट शक्तियां केंद्र को दी गई है।
(घ).जर्मन संविधान
(German constitution) नए संविधान में
राष्ट्रपति को जो संकटकालीन शक्तियां दी गई हैं, वह जर्मन के वाईमर संविधान से ली गई है।
(ड)आयरलैंड का
संविधान (lrish
constitution); संविधान में भारतीय संविधान निर्माताओं ने राजनीति के
निर्देशक सिद्धांतों को आयरलैंड से लिया है। राज्यसभा में कला, साहित्य,विज्ञान, सामाजिक सेवा के
क्षेत्र में से प्रतिष्ठित व्यक्तियों को मनोनीत करने का विचार भी आयरलैंड के
संविधान से लिया गया।
(च) दक्षिणी
अफ्रीका का संविधान (constitution
of South Africa): संविधान में संशोधन करने की विधि तथा राज्यसभा में सदस्यों
कि चुनाव विधि दक्षिण अफ्रीका से ली गई है।
(3) 1948 का मसौदा
संविधान (draught
constitution of 1948): भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण स्रोत 1948 का मसौदा
संविधान है जिसे डॉ. आंबेडकर की अध्यक्षता में मसौदा समिति ने तैयार करके 21 फरवरी 1948 को संविधान सभा
के प्रधान डॉ राजेंद्र प्रसाद को प्रस्तुत किया। इस मसौदा संविधान में 315 अनुच्छेद तथा 8 अनुसूचियां थी।
इस मसौदा-संविधान पर सविधान सभा में काफी वाद विवाद हुआ। सदस्यों द्वारा लगभग 7635 संशोधन प्रस्ताव
पेश किए गए जिनमें से 2473 प्रस्तावों पर
विचार हुआ और इनमें से कई प्रस्तावों को स्वीकार कर लिया गया। अंत में जो
नया-संविधान तैयार किया गया। उसके 395 अनुच्छेदों तथा 9 अनुसूचियां हैं। इसमें अधिकांश अनुच्छेदों मसौदा संविधान
से ही लिए गए हैं।
(4). सविधान सभा का
वाद-विवाद (debates of
constitution assembly) सविधान सभा की विभिन्न समितियों के वाद-विवाद तथा संविधान
सभा के अंदर हुए वाद-विवाद संविधान का एक उपयोगी स्रोत है तथा उच्चतम न्यायालय ने
इनका प्रयोग किया है।
(5). 1950 का संविधान (constitution of 1950) भारतीय शासन
प्रणाली का पता हमें मुख्य रूप से उस संविधान या प्रलेख से लगता है जो संविधान सभा
द्वारा बनाया गया था और 26
जनवरी 1950 को लागू हुआ था।
यह हमारी संवैधानिक व्यवस्था का मुख्य आधार था।