characteristics of constitution//संविधान की विशेषताएं
Characteristics of Constitution//संविधान की विशेषताएं
Characteristics of Constitution |
सविधान को एक सामाजिक दस्तावेज माना गया है क्योंकि इसमें
देश के ऐतिहासिक, सामाजिक एवं
आर्थिक दशाएं प्रतिबंधित होती है। जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि यदि कोई संविधान आम
जनता के जीवन उद्देश्य आशाएं एवं जरूरत पर ध्यान नहीं देता तो वह खोखला हो जाता
है। भारत के संविधान में न केवल सरकारी मशीनरी की स्थापना को ध्यान में रखा गया है
बल्कि इसके परिवर्तन एवं विकास का यंत्र माना गया है। इसके माध्यम से भारत में
प्रजातांत्रिक, सामाजिक, धर्मनिरपेक्ष, गणराज्य की
स्थापना की गई है ताकि न्याय, स्वतंत्रता, समानता एवं इसके बंधुत्व के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा
सके। इसके द्वारा राज्य को नीति निर्देश दिए जाते हैं ताकि कल्याणकारी सरकार का
स्वप्न साकार हो सके ।
अर्थ
साधारण शब्दों में संविधान का अर्थ समिति सरकार से है अर्थात सरकार पर कुछ विशेष प्रतिबंध होते हैं।
सविधान वैधानिक नियमों, रीति रिवाजों और
प्रथाओं का दस्तावेज है जिसकी परिधि में सरकार कार्य करती है।
संविधान की विशेषताएं
सविधान की विशेषताओं का विषय अति महत्वपूर्ण पहलू माना जाता
है। क्योंकि इसका अध्ययन करने के पश्चात किसी भी देश के राष्ट्रीय उद्देश्य, कार्यों एवं
कार्यक्रमों, परियोजनाओं का
ज्ञान प्राप्त होता है। इसके तरीके सामाजिक संरचना सरकार की विचारधारा, प्राथमिकताएं, कार्य प्रक्रिया
और कार्य उपायों का पता चलता है।
विभिन्न विचारकों के विश्लेषण के बाद संविधान की कुछ प्रमुख
विशेषताएं का वर्णन इस प्रकार किया जा सकता है:-
1). विश्व में सबसे लंबा संविधान
भारतीय संविधान की आधारभूत विशेषता यह है कि यह सबसे लंबा
संविधान है 1950 में इसे लागू
करने के समय इसमें 8 सूचीया है और 395 धारा थीं। 2003 में हमारे सविधान में 12 सूचियां हो गई है। जबकि अमेरिका के संविधान में सात धाराएं, ऑस्ट्रेलिया में 128 धाराएं हैं।
भारतीय संविधान के लंबा कार होने के कुछ कारण है:-
a). इसमें संघीय
सरकार के अतिरिक्त राज्यों के संविधान को भी शामिल किया गया है जबकि अमेरिका में
केवल राष्ट्रीय सरकार का संविधान ही शामिल किया गया है और राज्यों के संविधान
निर्माण का उत्तरदायित्व उन्हीं पर छोड़ दिया गया है।
b). इसमें विभिन्न
वर्गों के लिए विशेष प्रावधान रखे गए हैं जैसे अनुसूचित जाति एवं जनजाति, पिछड़ा वर्ग, ईसाई, एंग्लो इंडियन, भाषा वर्ग आदि।
c). इसमें नागरिकों
के मौलिक अधिकारों और उन पर लगी से सीमाओं का विस्तार से वर्णन किया गया है।
d). इसमें संघीय
सरकार एवं राज्यों के बीच वैधानिक, परास्त किया और वित्तीय शक्तियों के विभाजन का विस्तार से
वर्णन किया गया है।
e). इसमें आपातकालीन
शक्तियों के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन किया गया है, आदि।
2). कठोरता और लचीलापन में संतुलन:
संविधान का स्वरूप संघात्मक होने के कारण इसे कठोर होना पड़ता
है। परंतु यह बात भी सत्य है कि अधिक कठोरता इसके अस्तित्व के लिए खतरनाक हो सकती
हैं। इसीलिए भारतीय संविधान में कठोर एवं लचीले तत्व विराजमान है। इंग्लैंड का
संविधान सबसे लचीला संविधान माना जाता है। भारत का संविधान कठोर इसीलिए है कि धारा
368 के तहत इसके कुछ
प्रावधानों को संशोधित करने के लिए केंद्र तथा राज्यों की संयुक्त मंजूरी चाहिए।
जैसे राष्ट्रपति का चुनाव,
सुप्रीम कोर्ट, केंद्र तथा
राज्यों में शक्तियों का बंटवारा आदि।
3). संसदीय सरकार की स्थापना:
भारत में अमेरिका की अध्यक्षात्मक व्यवस्था की जगह इंग्लैंड के संसदीय
व्यवस्था अपनाई गई है। इसके तहत मंत्रीमंडल अपने कार्यकलापों के लिए संसद के प्रति
सामूहिक रूप से उत्तरदयी है। यदि मंत्रीमंडल संसद का विश्वास खो देती है तो उसे
सत्ता छोड़नी पड़ती है। यहां पर संसद की रचना में=लोकसभा+राज्यसभा+ राष्ट्रपति शामिल
होता है।हालांकि राष्ट्रपति केवल नाम मात्र का मुख्य माना जाता है जबकि
प्रधानमंत्री इसका वास्तविक कार्यपालक माना जाता है।
4). संकटकालीन प्रावधानों की व्यवस्था:
संकटकालीन परिस्थितियों का सामना करने के लिए संविधान में
कुछ शक्तियों का वर्णन किया गया है जो भारत के राष्ट्रपति में निहित है:-
a). राष्ट्रीय
आपातकाल: जब देश को युद्ध,
बाहरी आक्रमण
अथवा सशास्त्र विद्रोह का खतरा हो तो संविधान की धारा 352 के तहत
राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा की जा सकती है।
b). राज्यों में
संवैधानिक संकट: जब राज्यों की संवैधानिक
मशीनरी फेल हो जाए अर्थात राज्य का प्रशासन असंवैधानिक गतिविधियों से चलाया
जाए तो धारा 356 के तहत
राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।
c). वित्तीय आपातकाल:
जब किसी राज्य में दिन-प्रतिदिन के प्रशासनिक संचालन के लिए वित्तीय संकट आ जाए तो
संविधान की धारा 360 के तहत आपातकाल
की घोषणा की जा सकती है।
5). एकल नागरिकता:
हमारी नागरिकता केवल भारतीय है न कि राज्य स्तर पर कोई अलग नागरिकता है। अमेरिका
में दोहरी नागरिकता प्रदान की गई है। लेकिन भारत में केवल एकता एवं अखंडता के
परिपेक्ष मैं एक समान शासन की व्यवस्था का निरूपण किया गया है। नागरिकता का
विनियमन किया गया है। नागरिकता का विनियमन करने का अधिकार केवल संघीय संसद को है, राज्यों को नहीं
source of Indian Constitution//भारतीय संविधान के स्रोत
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