Bhartiya sanvidhan ka Nirman/संविधान सभा की कार्यप्रणाली


समितियों की नियुक्ति


उद्देश्य प्रस्ताव को पारित करने के बाद संविधान सभा ने कुछ समितिया नियुक्त की ताकि वे संविधान के विभिन्न पहलुओं पर गहन विचार करके अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
विभिन्न समितियों की रिपोर्ट के आधार पर संविधान का मसौदा  तैयार करने के लिए 29 अगस्त 1947 को संविधान सभा ने बी.आर. अंबेडकर की अध्यक्षता में 7 सदस्यों की मसौदा समिति का गठन किया।इस समिति ने 21 फरवरी 1948 को संविधान का पहला मसौदा प्रस्तुत किया जिसमें 243 धाराएं और 13 सूचियां शामिल थी। इसे जनता की राय जानने के लिए भेजा गया। जब इस मसौदे की अत्यधिक आलोचना हुई तो मसौदा समिति ने दूसरा मसौदा तैयार किया जिसमें 315 धाराएं और नो सूचियां थी। इससे संविधान सभा के सामने 21 फरवरी 1948 को रखा गया। अंतिम प्रारूप में 395 धाराएं और 8 सूची रखी गई कुल मिलाकर संविधान सभा सत्र बुलाए जिनमें 167 दिन लगे इस प्रकार संविधान निर्माण में 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन लगे।

Bhartiya sanvidhan ka Nirman
Bhartiya sanvidhan ka Nirman

संविधान सभा की कार्यप्रणाली


संविधान सभा ने अपना कार्य 20 से ज्यादा समितियों के माध्यम में किया। इनमें से ज्यादातर समय स्थाई समितियां थी। परंतु मसौदा समिति ने संविधान निर्माण के अंतिम समय तक कार्य किया। इस समिति मैं ज्यादातर वकील लोग शामिल थे। संविधान सभा में विधान पालिका के समरूप कार्य प्रक्रिया अपनाई गई। संवैधानिक प्रावधानों को एक ही बिल के भाग ही माना गया और तीन वाचन एवं समितियों के माध्यम से पारित किया गया। किंतु वास्तव में निर्णय, निर्माण की शक्तियां कांग्रेस नेताओं में निहित थी। कांग्रेस कार्य समिति द्वारा ही मसौदा समिति के सभी अहम निर्णय को हरी झंडी दिखाई गई।

प्रजातांत्रिक कार्यप्रणाली


संविधान सभा ने प्रजातांत्रिक तरीके से अपना कार्य किया। इसके सदस्यों द्वारा 7635 संशोधन प्रस्ताव किए गए। जिनमें से 2473 मे वाद विवाद किया गया। इसीलिए इसने 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन का समय लिया। जबकि अमेरिका का संविधान 4 महीने में बनकर तैयार हो गया था। कनाडा में 2 वर्ष का समय लगा। वहां पर अत्यधिक संशोधन प्रस्ताव की समस्या नहीं थी। भारतीय संविधान सभा में सदस्यों की अधिक संख्या और लंबी एवं खुली बहस के परिणाम स्वरूप संविधान बनाने में अधिक समय लगा। इसके निर्माण पर 64 मिलीयन रुपए की लागत आई।

संविधान सभा की समस्याएं


संविधान निर्माण के समय सभा को कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जो इस प्रकार है।

1. भारत की विशालता तथा अनेकता: संविधान के निर्माण के समय भारत की जनगणना 36 करोड़ थी। इसने विभिन्न धर्म,जाति ,संस्कृति और भाषाओं के लोग शामिल थे। ऐसे में सभी को राष्ट्रीय एकता के सूत्र में बांधना कठिन कार्य था।

2. रियासतों की समस्या: 600 रियासतों के नवाब सत्ता छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे और प्रजातंत्र के विरोधी थे। उन्हें एक संघ के नीचे लाना कठिन था।

3. सांप्रदायिकता की समस्या: आजादी से पहले या एक प्रमुख समस्या थी जिसके कारण देश का विभाजन हुआ परंतु संविधान निर्माण करते समय संप्रदायिकता प्रतिनिधित्व जैसी समस्याओं के उचित समाधान के लिए प्रावधानों की जरूरत थीजिसके लिए धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था को अपनाया गया लेकिन यह समस्या आज तक बनी हुई है।

4. राजभाषा की समस्या: देश के लिए राजभाषा की समस्या पैदा हुई। बहुसंख्यक लोगों द्वारा बोले जाने वाली हिंदी को मान्यता दी गई परंतु यह भी निर्णय लिया गया कि अंग्रेजी भाषा का प्रयोग जारी रहे।

इसके अतिरिक्त कुछ मौलिक प्रश्नों पर भी मतभेद सामने आए जैसे:-

(a) केंद्र तथा राज्यों में शक्तियों का बंटवारा

(b) संविधान की व्याख्या करने में न्यायालय की भूमिका।

(c) नागरिकों के अधिकारों और राष्ट्रीय सुरक्षा में सामंजस्य स्थापित करना।

(d) निजी संपत्तियों के अधिकारों को सामाजिक न्याय से जोड़ना।

(e) सत्ता का विकेंद्रीकरण

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